Friday, May 1, 2020

Wheat

गेहूं (Wheat ; वैज्ञानिक नाम : Triticum aestivum.), मध्य पूर्व के लेवांत क्षेत्र से आई एक घास है जिसकी खेती दुनिया भर में की जाती है। ... यह घास कुल का पौधा है गेहूं के दाने और दानों को पीस कर प्राप्त हुआ आटा रोटी, डबलरोटी (ब्रेड), कुकीज, केक, दलिया, पास्ता, रस, सिवईं, नूडल्स आदि बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।



Wheat (गेहूं)

गेहूँ (Wheat ; वैज्ञानिक नाम : Triticum spp.) मध्य पूर्व के लेवांत क्षेत्र से आई एक घास है जिसकी खेती दुनिया भर में की जाती है। विश्व भर में, भोजन के लिए उगाई जाने वाली धान्य फसलों मे मक्का के बाद गेहूं दूसरी सबसे ज्यादा उगाई जाने वाले फसल है, गेहूँ की उपज लगातार बढ रही है। यह वृध्दि गेहूँ की उन्नत किस्मों तथा वैज्ञानिक विधियों से हो रही है। भारत गेहूं का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है केरल, मणिपुर व नागालैंड राज्यों को छोड़ कर अन्य सभी राज्यों में इस की खेती की जाती है उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व पंजाब सर्वाधिक रकबे में गेहूं की पैदावार करने वाले राज्य हैं। 

खेत की तैयारी:- गेहूं की बोआई से करीब 1 महीने पहले ही प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 4 से लेकर 10 टन तक गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद खेत में डाल देनी चाहिए। इसमें 3 किलोग्राम कैलडर्मा व 10 किलोग्राम कैलबहार भी डालना बेहतर होता है। इसके बाद खेत की जुताई कर के पलेवा कर देना चाहिए। फिर हैरो व टिलर से जुताई कर के पाटा लगा कर खेत को पूरी तरह से समतल कर देना चाहिए। बोआई के वक्त खेत में थोड़ी नमी होना जरूरी है। मिट्टी भुरभुरी होनी चाहिए और खेत में खरपतवार नहीं होने चाहिए।

बुआई का समय, तरीका एवं बीज की मात्रा :-

1. असिंचित(Unirrigated):- असिंचित गेहूँ ही बुआई का समय 15 अक्टूबर से 31 अक्टूबर है इस अवधि में बुआई तभी संभव है जब सितम्बर माह में पर्याप्त वर्षा हो जाती हैं। इससे भूमि में आवश्यक नमी बनी रहती हैं। यदि बोये जाने वाले बीज के हजार दानों (1000 दानों) का वजन 38 ग्राम है तो 100 किलो प्रति हेक्टेयर बीज प्रयोग करें। हजार दानों का वजन 38 ग्राम से अधिक होने पर प्रति ग्राम 2 किलो प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा बढ़ा दें।

2. सिंचित:- सामयिक बोनी जिसमें नवम्बर का प्रथम पखवाड़ा उत्तम होता है, 15-25 नवम्बर तक सिंचित एवं समय वाली जातियों की बोनी आवश्यक कर लेना चाहिये। बीज को बोते समय 2-3 से.मी. की गहराई में बोना चाहिये जिससे अंकुरण के लिये पर्याप्त नमी मिलती रहे। कतार से कतार की दूरी 20 से.मी. रखना चाहिये। इस हेतु बीज की मात्रा औसतन 100 कि.ग्राम/ हे. रखना चाहिये या बीज के आकार के हिसाब से उसकी मात्रा का निर्धारण करें तथा कतार से कतार की दूरी 18 से.मी. रखें।

3. सिंचित एवं देर से बोनी हेतु:- पिछैती बोनी जिसमें दिसम्बर का पखवाड़ा उत्तम हैं। 15 से 20 दिसम्बर तक पिछैती बोनी अवश्य पूरी कर लेना चाहिये। पिछैती बुवाई में औसतन 125 किलो बीज प्रति हे. के हिसाब से बोना उपयुक्त रहेगा (देर से बोनी के लिये हर किस्म के बीज की मात्रा 25 प्रतिशत बढ़ा दें) तथा कतार की दूरी 18 से.मी. रखें।

सिंचाई:- गेहूँ की बौनी किस्मों को 30-35 हेक्टेयर से.मी. और देशी किस्मों  को 15-20 हेक्टेयर से.मी. पानी की कुल आवश्यकता होती है। उपलब्ध जल के अनुसार गेहूँ में सिंचाई क्यारियाँ बनाकर करनी चाहिये। प्रथम सिंचाई में औसतन 5 सेमी. तथा बाद की सिंचाईयों में 7.5 सेमी. पानी देना चाहिए। सिंचाईयों की संख्या और पानी की मात्रा मृदा के प्रकार, वायुमण्डल का तापक्रम तथा बोई गई किस्म पर निर्भर करती है। फसल अवधि की कुछ विशेष क्रान्तिक अवस्थाओं पर बौनी किस्मों में सिंचाई करना आवश्यक होता है।

गेहूँ की खेती में सिंचाई: -
  • पहली सिंचाई बुवाई के 3 से 4 सप्ताह बाद दी जानी चाहिए।
  • बुवाई के 40 से 45 दिन बाद दूसरी सिंचाई करनी चाहिए।
  • बुवाई के 60 से 65 दिन बाद 3 सिंचाई।
  • बुवाई के 80 से 85 दिन बाद 4 सिंचाई करें।
  • बुवाई के 100 से 105 दिन बाद 5 वीं सिंचाई करें।
  • बुआई के 15 से 120 दिन बाद 6 वीं सिंचाई करें।
उपज एवं भंडारण:- उन्नत तकनीक से खेती करने पर सिंचित अवस्था में गेहूँ की बौनी किस्मो से लगभग 50-60 क्विंटल दाना के अलावा 80-90 क्विंटल भूसा/हेक्टेयर प्राप्त होता है। जबकि देशी लम्बी किस्मों से इसकी लगभग आधी उपज प्राप्त होती है। देशी किस्मो से असिंचित अवस्था में 15-20 क्विंटल प्रति/हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है। सुरक्षित भंडारण हेतु दानों में 10-12% से अधिक नमी नहीं होना चाहिए। भंडारण के पूर्ण कठियों तथा कमरो को साफ कर लें और दीवालों व फर्श पर मैलाथियान 50% के घोल को 3 लीटर प्रति 100 वर्गमीटर की दर से छिड़कें। अनाज को बुखारी, कोठिलों या कमरे में रखने के बाद एल्युमिनियम फास्फाइड 3 ग्राम की दो गोली प्रति टन की दर से रखकर बंद कर देना चाहिए।

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