Wednesday, April 22, 2020

Shree ganesh

भगवान गणेश के बारे में जानिए| About Lord Ganesha in Hindi
गणेशजी निराकार दिव्यता हैं जो भक्त के उपकार हेतु एक अलौकिक आकार में स्थापित हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, वह भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र है।
गण का अर्थ हे समूह । यह पूरी सृष्टि परमाणुओं और अलग अलग ऊर्जाओं का समूह है। यदि कोई सर्वोच्च नियम इस पूरी सृष्टि के भिन्न-भिन्न संस्थाओं के समूह पर शासन नहीं कर रहा होता तो इसमें बहुत उथल-पुथल हो जाती। इन सभी परमाणुओं और ऊर्जाओं के समूह के स्वामी हैं गणेशजी।
वे ही वह सर्वोच्च चेतना हैं जो सर्वव्यापी है और इस सृष्टि में एक व्यवस्था स्थापित करती है।
आदि शंकराचार्य (Adi Shankara) ने गणेशजी के सार का बहुत ही सुंदरता से गणेश स्तोत्र में विवरण किया है।
हालाँकि गणेशजी की पूजा हाथी के सिर वाले भगवान के रूप में होती है, लेकिन यह आकार (स्वरुप ) वास्तव में उस निराकार (परब्रह्म रूप ) को प्रकट करता है।
वे ‘अजं निर्विकल्पं निराकारमेकम’ हैं। अर्थात, गणेशजी अजं (अजन्मे) हैं, निर्विकल्प (बिना किसी गुण के) हैं, निराकार (बिना किसी आकार के) हैं और वे उस चेतना के प्रतीक हैं, जो सर्वव्यापी है।
गणेशजी वही ऊर्जा हैं जो इस सृष्टि का कारण है। यह वही ऊर्जा है, जिससे सब कुछ प्रत्यक्ष (प्रकट) होता है और जिसमें सब कुछ विलीन हो जायेगा।
भगवान गणेश के जन्म की कहानी । Lord Ganesh ki janam katha in Hindi |Lord Ganesha's birth story
हम सभी उस कथा को जानते हैं, कि कैसे गणेशजी हाथी के सिर वाले भगवान बने। जब पार्वती शिव के साथ उत्सव क्रीड़ा कर रहीं थीं, तब उन पर थोड़ा मैल लग गया। जब उन्हें इस बात की अनुभूति हुई, तब उन्होंने अपने शरीर से उस मैल को निकल दिया और उससे एक बालक बना दिया। फिर उन्होंने उस बालक को कहा कि जब तक वे स्नान कर रहीं हैं, वह वहीं पहरा दे।
जब शिवजी वापिस लौटे, तो उस बालक ने उन्हें पहचाना नहीं, और उनका रास्ता रोका । तब भगवान शिव ने उस बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया और अंदर चले गए।
यह देखकर पार्वती बहुत हैरान रह गयीं। उन्होंने शिवजी को समझाया कि वह बालक तो उनका पुत्र था, और उन्होंने भगवान शिव से विनती करी, कि वे किसी भी कीमत पर उसके प्राण बचाएँ।
तब भगवान शिव ने अपने सहायकों को आज्ञा दी कि वे जाएँ और कहीं से भी कोई ऐसा मस्तक ले कर आये जो उत्तर दिशा की ओर मुहँ करके सो रहा हो। तब शिवजी के सहायक एक हाथी का सिर लेकर आये, जिसे शिवजी ने उस बालक के धड़ से जोड़ दिया और इस तरह भगवान गणेश का जन्म हुआ।
भगवान गणेश की कहानी में विचार के तथ्य।
क्यों पार्वती के शरीर पर मैल था?: पार्वती प्रसन्न ऊर्जा का प्रतीक हैं। उनके मैले होने का अर्थ है कि कोई भी उत्सव राजसिक हो सकता है, उसमें आसक्ति हो सकती है और आपको आपके केन्द्र से हिला सकता है। मैल अज्ञान का प्रतीक है, और भगवान शिव सर्वोच्च सरलता, शान्ति और ज्ञान के प्रतीक हैं।
क्या भगवान शिव, जो शान्ति के प्रतिक थे, इतने गुस्से वाले थे कि उन्होंने अपने ही पुत्र का सिर धड़ से अलग कर दिया? और भगवान गणेश के धड़ पर हाथी का सिर क्यों? तो जब गणेशजी ने भगवान शिव का मार्ग रोका, इसका अर्थ हुआ कि अज्ञान, जो कि मस्तिष्क का गुण है, वह ज्ञान को नहीं पहचानता, तब ज्ञान को अज्ञान से जीतना ही चाहिए। इसी बात को दर्शाने के लिए शिव ने गणेशजी के सिर को काट दिया था।
हाथी का सिर क्यों ?: हाथी ‘ज्ञान शक्ति’ और ‘कर्म शक्ति’, दोनों का ही प्रतीक है। एक हाथी के मुख्य गुण होते हैं – बुद्धि और सहजता। एक हाथी का विशालकाय सिर बुद्धि और ज्ञान का सूचक है। हाथी कभी भी अवरोधों से बचकर नहीं निकलते, न ही वे उनसे रुकते हैं। वे केवल उन्हें अपने मार्ग से हटा देते हैं और आगे बढ़ते हैं – यह सहजता का प्रतीक है। इसलिए, जब हम भगवान गणेश की पूजा करते हैं, तो हमारे भीतर ये सभी गुण जागृत हो जाते हैं, और हम ये गुण ले लेते हैं।
गणेशजी के प्रतीक और उनका महत्व | Lord Ganesha - Symbolism & Significance
गणेशजी का बड़ा पेट उदारता और संपूर्ण स्वीकार को दर्शाता है।
गणेशजी का ऊपर उठा हुआ हाथ रक्षा का प्रतीक है – अर्थात, ‘घबराओ मत, मैं तुम्हारे साथ हूँ’ और उनका झुका हुआ हाथ, जिसमें हथेली बाहर की ओर है,उसका अर्थ है, अनंत दान, और साथ ही आगे झुकने का निमंत्रण देना – यह प्रतीक है कि हम सब एक दिन इसी मिट्टी में मिल जायेंगे।
गणेशजी एकदन्त हैं , जिसका अर्थ है एकाग्रता। वे अपने हाथ में जो भी लिए हुए हैं, उन सबका भी कुछ अर्थ है।
वे अपने हाथों में अंकुश लिए हैं, जिसका अर्थ है – जागृत होना , और पाश – अर्थात नियंत्रण। जागृति के साथ, बहुत सी ऊर्जा उत्पन्न होती है और बिना किसी नियंत्रण के उससे व्याकुलता हो सकती है।
गणेशजी, हाथी के सिर वाले भगवान क्यों एक चूहे जैसे छोटे से वाहन पर चलते हैं?

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